अर्थराइटिस क्या है (Gathiya Kya Hai) गठिया या अर्थराइटिस के लक्षण, प्रकार, इलाज, बचाव, खानपान (Gathiya Ka Ilaj, Upchar, Treatment, Types, Causes, Symptoms of Arthritis in Hindi)
आजकल ऐसा मुश्किल से ही कोई व्यक्ति मिलता है जिसे कोई रोग न हो। किसी से भी अगर हम पूछेंगे तो सबसे सामान्य रोगों में दर्द का नाम अवश्य आएगा। 100 में से 90 व्यक्तिओं के शरीर के किसी हिस्से में किसी न किसी प्रकार का दर्द जरूर होगा। दर्द वाले रोगों के कई रूप है जिनमे से एक के बारे में हम यहाँ बात करने वाले है। आइये जातने है गठिया रोग क्या होता हैं व गठिया का इलाज क्या है?
गठिया क्या है? (Arthritis in Hindi)
गठिया एक प्रकार की बीमारी है जिसमें व्यक्ति के जोड़ों में दर्द होता है। इस बीमारी में व्यक्ति को दर्द के साथ साथ असहनीय पीड़ा भी होती है। जोड़ों में दर्द यूरिक एसिड क्रिस्टल के अधिक मात्रा में जमा हो जाने के कारण होने लगता है।
इस बीमारी की समस्या अधिकतर 40 की उम्र से ऊपर वाले व्यक्तियों में होती है। गठिया का दर्द अधिकतर घुटनों में होता है और यह धीरे-धीरे भयंकर रूप ले लेता है जिससे पीड़ित व्यक्ति हिलने डुलने और चलने में परेशानी महसूस करता है और पैरों में भी थोड़ा तिरछापन सा होने लगता है। इस बीमारी का समय पर इलाज होना बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है नहीं तो इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति दूसरों पर आश्रित हो सकता है।
गठिया या अर्थराइटिस के कारण (Gathiya Rog Ke Karan, Causes)
मनुष्य के शरीर में मौजूद हड्डियों में कई प्रकार के जोड़ होते हैं जो हड्डियों को जोड़ने का कार्य करते हैं। इनका मनुष्य के स्वस्थ जीवन यापन में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि यदि जोड़ों में दिक्कत होगी तो मनुष्य को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और कार्य को करने में परेशानी हो सकती है। आइए आगे गठिया होने के कुछ कारण जानते हैं –
- मनुष्य के शरीर में कभी-कभी कुछ ऐसी गतिविधियां होती है जिनके कारण गठिया की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
- मनुष्य के शरीर में जब कार्टिलेज की मात्रा कम होने लगती है तो यह समस्या उत्पन्न होती है क्योंकि कार्टिलेज जोड़ों की सुरक्षा करता है और जब यह कम होने लगता है तो हड्डियों में एक दूसरे से रगड़ खाने की समस्या पैदा होती है जिस कारण गठिया रोग होता है।
- गठिया रोग की बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है। मतलब आपके माँ-बाप से आपको।
- यदि किसी के परिवार में किसी व्यक्ति को गठिया की समस्या है तो तो यह बीमारी अन्य व्यक्ति को भी हो सकती है।
- कैल्शियम की कमी को भी बाई होने का एक कारण माना जा सकता है।
- जब किसी व्यक्ति का मोटापा बढ़ जाता है तो गठिया की समस्या होने की संभावना भी बढ़ जाती है क्योंकि मोटापे की वजह से शरीर में उपस्थित जोड़ों में दवा पड़ता है जिससे जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या हो जाती है।
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गठिया रोग के प्रकार (Types of Arthritis in Hindi)
गठिया के 50 से अधिक प्रकार माने जाते हैं हम आपको कुछ मुख्य प्रकारों के बारे में जानकारी देंगे –
- ऑस्टियो आर्थराइटिस
- गाउट
- रूमेटाइड आर्थराइटिस
- सेप्टिक आर्थराइटिस
- जुवेनाइल इडियोपेथिक आर्थराइटिस
- एन्किलो़न्सिग स्पान्डिलाइटिस
- रिएक्टिव आर्थराइटिस
ये सभी अर्थराइटिस या गठिया के प्रकार है जो सबसे अधिक सामने आए है.
गठिया रोग किस पोषक तत्व की कमी के कारण होता है?
वैसे तो गठिया होने के कई कारण होते हैं लेकिन ज्यादातर गठिया कैल्शियम की कमी के कारण हो सकती है। इसके होने पर जोड़ों में दर्द, ऐठन और सूजन की समस्या बनी रहती है, जिस कारण पीड़ित व्यक्ति चलने में अधिक परेशानी महसूस करता है।
गठिया रोग का उपचार कैसे करें? (Upchar)
गठिया रोग के कई उपचार हैं। इस बीमारी का उपचार आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के द्वारा भी किया जा सकता है और आप चाहें तो अंग्रेजी दवाइयों द्वारा भी इसका इलाज संभव है।
इनके अलावा गठिया का सबसे अच्छा उपचार फिजियोथैरेपी को माना जाता है क्योंकि जोड़ों के दर्द में यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
गठिया की बीमारी को कम करने के लिए कई तरह के व्यायाम भी उपलब्ध है । व्यायाम के द्वारा भी इस बीमारी को धीरे-धीरे खत्म किया जा सकता है।
गठिया के रोगी को क्या खाना चाहिए? (What to Eat in Arthritis)
नीचे हम बात करे वाले है कि गठिया में कौन से फल, दाल और कौन सी सब्जी खानी चाहिए –
गठिया के रोगी को संतरा, मौसमी, नींबू, अनानास तथा गाजर के जूस का अधिक सेवन करना चाहिए।
गठिया की बीमारी में सिर्फ मूंग दाल फायदेमंद होती है। इसके अलावा दूसरी दालें नुकसानदायक हो सकती हैं।
गठिया की बीमारी में बैंगन, मिर्च, आलू, टमाटर को छोड़कर सभी सब्जियों का सेवन किया जा सकता है। क्योंकि इन सब्जियों में रासायनिक सोलनिन होता है जो गठिया की समस्या को बढ़ा देता है।
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गठिया के मरीज को क्या नहीं खाना चाहिए? (What not to Eat in Arthritis)
गठिया एक बहुत ही पीड़ादायक बीमारी है, जो व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो जाता है उसे बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और बीमार व्यक्ति को कई तरह के परहेज भी करने पड़ते हैं जैसे –
- गठिया की बीमारी में व्यक्ति को मांस खाने से बचना चाहिए।
- चीनी गठिया की बीमारी में पीड़ित व्यक्तियों को मीठे व्यंजनों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस बीमारी में अपने खाने में अधिक नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- पीड़ित व्यक्ति को ग्लूटेन से भरपूर आहार का ही सेवन करना चाहिए।
गठिया रोग के लक्षण (Symptoms of Arthritis in Hindi)
गठिया एक पीड़ादायक बीमारी है। इस बीमारी में शुरुआत में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। कभी-कभी इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं लेकिन कुछ मामलों में इसके लक्षण जल्दी दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणों की सही समय पर पहचान करके आप इस बीमारी से काफी हद तक निजात पा सकते हैं। इस प्रकार की समस्या में सही समय पर इलाज होना बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है। इसलिए आगे हम आपको गठिया रोग के लक्षण के बारे में जानकारी देते हैं जिससे कि आप सही समय पर इस बीमारी की पहचान कर सकें –
- शुरुआत में जब भी है समस्या होती है तो पीड़ित व्यक्ति को बार-बार बुखार आने की शिकायत रहती है।
- पीड़ित व्यक्ति की मांस पेशियों में दर्द रहने लगता है।
- जिस व्यक्ति को यह बीमारी होती है उसे भूख लगनी कम हो जाती है।
- इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति थोड़ा सा ही काम करने पर थकान महसूस करता है और उसका शरीर सुस्त सा रहता है।
- इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति का वजन धीरे धीरे घटने लगता है।
- यह एक ऐसी बीमारी है जब यह अधिक बढ़ जाती है तो व्यक्ति हिलने ढूंढने में भी बहुत दर्द या असहनीय पीड़ा महसूस करता है।
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गठिया की शुरुआत कैसे होती है?
गठिया की शुरुआत जोड़ों में यूरिक एसिड के इकट्ठा हो जाने के कारण होती है। गठिया रोग प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबोलिज्म की विकृति से होता है।
इसमें खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। तब यह यूरिक एसिड व्यक्ति के बैठने या सोने के समय जोड़ों में इकट्ठा होकर, व्यक्ति को चलने या उठने में तकलीफ देते हैं जिससे जोड़ों की समस्या उत्पन्न हो जाती है और धीरे-धीरे यह गठिया का रूप ले लेती है।
गठिया में कौन सा टेस्ट होता है? (Test)
इस बीमारी में यूरिन टेस्ट किया जाता है और ब्लड के सैंपल भी लिए जाते हैं। इसके अलावा जोड़ों में से कुछ तरल पदार्थ कुछ मात्रा में लेकर जांच की जाती है।
जोड़ों में से तरल पदार्थ को लेने के लिए उस जगह को इंजेक्शन द्वारा सुन्न किया जाता है, फिर उस तरल पदार्थ को सुई के द्वारा निकालकर जांच के लिए भेजा जाता है।
गठिया का दर्द रात में अधिक क्यों होता है?
गठिया का दर्द रात में अधिक इसलिए होता है क्योंकि जब व्यक्ति सोता या लेटता है , तब जोड़ों को कुशन करने वाले द्रव में अवांछित रसायन जमा हो जाते हैं, और यह रसायन सख्त होकर जोड़ों में दर्द को बढ़ा देते हैं, जिस कारण रात में दर्द अधिक होता है और व्यक्ति का मन विचलित रहता है।
गठिया से बचाव के तरीके (How to avoid Arthritis)
गठिया अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी मानी जाती है जो आजीवन रह सकती है क्योंकि इसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन कुछ उपायों के द्वारा इससे कुछ हद तक छुटकारा पाया जा सकता है और इस बीमारी में होने वाले दर्द और पीड़ा को कम किया जा सकता है । तो इसीलिए इस बीमारी से खुद को बचाना ही एक अच्छा विकल्प हो सकता है।तो आइए जानते हैं अर्थराइटिस से बचाव के तरीके –
- गठिया के दर्द को कम करने के लिए हमेशा गुनगुने पानी में नहाना चाहिए।
- अर्थराइटिस या गठिया जैसी बीमारी में अपने डॉक्टर से समय-समय पर परामर्श लेते रहना चाहिए।
- यदि इस बीमारी के होने के बाद आपका वजन बढता है तो यह समस्या और अधिक भयंकर रूप ले सकती है क्योंकि वसा के बढ़ जाने पर यह समस्या भी अधिक बढ़ जाती है।
- इस बीमारी में सबसे ज्यादा फायदेमंद व्यायाम करना होता है इसीलिए किसी व्यायाम एक्सपर्ट से संपर्क करके व्यायाम करें।
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अर्थराइटिस या गठिया का आयुर्वेदिक इलाज (Arthritis Treatment in Hindi)
सबसे अच्छा है कि आप गठिया का आयुर्वेदिक उपचार अपनाए यह सबसे बेहतर तरीका है। इस बीमारी को जड़ से तो खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन इसकी पीड़ा को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। आइए जानते है गठिया बाय का रामबाण इलाज –
1. जैतून का तेल है गठिया बाई का रामबाण इलाज
गठिया में अपने जोड़ों की मालिश करना एक अच्छा विकल्प होता है। मालिश करने के लिए हमें जैतून के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। यह मालिश हमें दिन में दो से तीन बार अवश्य करनी चाहिए। मालिश करने से पीड़ित व्यक्ति को जोड़ों के दर्द में काफी हद तक राहत मिलती है और धीरे-धीरे दर्द का स्तर कम होता जाता है व पीड़ा भी कम होती है।
2. स्टीम बाथ या भाप से स्नान करना
स्टीम बाथ एक ऐसा उपचार होता है जिससे पीड़ित व्यक्ति को बहुत फायदा मिलता है क्योंकि जब यह गर्म भाप गठिया से पीड़ित व्यक्ति पर पड़ती है तो उसे काफी हद तक राहत महसूस होती है। और स्टीम बाथ से व्यक्ति के शरीर को शेक लगती है, जिस कारण शरीर में या जोड़ों में पीड़ा कम होती है। लगातार स्टीम बाथ लेने से जोड़ों के दर्द की समस्या धीरे धीरे कम हो जाती है।
3. सिरके से मसाज है अर्थराइटिस का इलाज
गठिया या अर्थराइटिस में जोड़ों की मसाज करना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। मसाज करने के लिए पीड़ित व्यक्ति सिरके का इस्तेमाल भी कर सकता है क्योंकि सिरका जोड़ों के दर्द में काफी फायदेमंद होता है। और सिरके से नियमित रूप से जोड़ों की मालिश करने से दर्द भी कम हो जाता है।
4. समुद्र के पानी से स्नान करना
गठिया जैसी बीमारी में समुद्र के पानी से स्नान करना एक अच्छा उपचार हो सकता है। क्योंकि समुद्र का पानी खारा होता है और कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार समुद्र के पानी में स्नान करने से अर्थराइटिस या गठिया में होने वाले जोड़ो के दर्द से आराम मिलता है। और गठिया की समस्या अधिक नहीं बढ़ती।
5. अरंडी का तेल है गठिया का रामबाण इलाज
गठिया या अर्थराइटिस में अरंडी का तेल भी काफी अच्छा माना जाता है। अरंडी का तेल ओर भी कई बीमारियों में काफी फायदेमंद होता है। खासकर इस तेल से बालों को काफी फायदा मिलता है। इसीलिए गठिया जैसी बीमारी में अरंडी के तेल से नियमित रूप से मालिश करने से, इस बीमारी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अरंडी का तेल इस बीमारी में होने वाले दर्द और पीड़ा को धीरे धीरे कम कर देता है।
6. लहसुन से गठिया का इलाज
लहुसन को प्राचीन समय से ही एक दर्द निवारक औषधि के रूप में जाना जाता है। लहुसन में कई मेडिकल व एंटीफ्लामेट्री गुण पाए जाते है जो किसी भी प्रकार के दर्द को कम करने में सहायक है।
आर्थराइटिस या गठिया से बचने के लिए हम प्रतिदिन 2 से 3 लहसुन की कलियों को अवश्य खाना चाहिए। यदि आप सीधे खा सकते है तो बहुत अच्छा है नहीं तो खाने के साथ भी खाया जा सकता है।
7. गिलोय से गठिया का इलाज
गिलोय एक औषधि है जो गुणों का भंडार है। इसके सेवन से आप ज्वर से बच सकते है, अपनी इम्युनिटी को मजबूत कर सकते है। यहाँ तक की गठिया जैसे रोगों में भी इसका सेवन बहुत लाभदायक है। गठिया रोग में आप गिलोय का फायदा दो प्रकार से उठा सकते है।
पहला तो आप गिलोय का जूस पी सकते है। गिलोय के जूस में फॉस्फोरस, जिंक, कॉपर, मैग्नीशियम, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, तथा एंटीकैंसर गुण पाए जाते है। इन गुणों के कारण ही आर्थराइटिस में आराम मिलता है। इस जूस को खाली पेट पीना अधिक लाभदायक होता है।
दूसरा आप आधा चम्मच सौंठ व इतना ही गिलोय का पाउडर ले तथा थोड़ी से गुग्गल के साथ दिन में दो बार सेवन करने से गठिया में आराम मिल सकता है।
8. हरसिंगार से गठिया का इलाज
हरसिंगार का उपयोग कई तरह के दर्द में आराम पाने के लिए बहुत फेल से किया जाता रहा है। इसका सेवन हमारी नाड़ियों को सीधा आराम पहुंचाकर पीड़ा को कम करता है।
आपको हरसिंगार के 5 से 6 पत्ते लेने है तथा इन्हें अच्छे से पीस लेना है। पीस लेने के बाद लगभग एक गिलास से थोड़े ज्यादा पानी में इसे धीमी आँच पर तब तक पकाते रहे जब तक पानी आधा गिलास न रह जाये। जब यह आधा गिलास पानी थोड़ा गुनगुना रह जाते तब इसे पी लीजिये।
इस काढ़े को खाली पेट पीना अधिक लाभान्वित कर सकता है। साइटिका की पीड़ा में भी इस काढ़े के कई लाभ है।
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FAQ (प्रश्न-उत्तर)
उत्तर – गठिया के रोगियों को दही, छाछ, आइसक्रीम आदि नहीं खाने चाहिए। गठिया में परहेज जानने के लिए ऊपर पूरी पोस्ट पढ़े।
उत्तर – गठिया में गर्म तेल का ही इस्तेमाल करना चाहिए। आप जैतून के तेल से तथा सरसों के तेल को गर्म करके भी दर्द वाले स्थान पर मालिश कर सकते है।
उत्तर – गठिया में बाजरा, ज्वार, तथा ब्राउन राइस आदि अनाजों का सेवन करना लाभदायक माना जाता है।
अस्वीकरण
ऊपर प्रस्तुत किया गया लेख सिर्फ आपको जानकारी प्रदान करने के लिए है। यह जानकारी बिल्कुल भी किसी चिकित्सक का विकल्प नहीं है। आर्थराइटिस की स्तिथि में एक बार किसी अनुभवी चिकित्सक को आवश्यक दिखाए।
अंत में –
इस लेख में आपने गठिया क्या है (Arthritis Kya Hai) के बारे में बहुत अच्छे से जाना। हमने गठिया का आयुर्वेदिक इलाज (Arthritis Treatment in Hindi), गठिया या अर्थराइटिस के कारण (Causes), अर्थराइटिस या गठिया रोग के लक्षण (Symptoms of Arthritis in Hindi), गठिया क्यों होता है तथा गठिया कैसे होता है आदि के बारे में भी जाना। हम आशा करते है कि आपको अर्थराइटिस क्या है के बारे में यह पोस्ट पसंद आई होगी।
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