पतंजलि हृदयामृत वटी टैबलेट के लाभ (Divya Hridyamrit Vati Benefits) हृदयामृत वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग (Side Effects, Uses of Patanjali Hridyamrit Vati in Hindi)
जब भी इंसान की सेहत के बारे में बात होती है तो सबसे पहले दिल का ख्याल रखने को कहा जाता है। यदि हमारी दिल की धड़कन है रुक जाए तो हमारे शरीर की पूरी सेहत का कोई भी मोल नहीं है।
लेकिन इस भागती जिंदगी बढ़ते प्रदूषण व गलत खान-पान के कारण हृदय से संबंधित रोगों से बचे रहना बहुत ही मुश्किल हो गया है। हम प्रतिदिन जाने-अनजाने ऐसा कुछ जरूर खा ही लेते हैं जो हमारे हृदय को हानि पहुंचाता है।
यदि आपको भी दिल या हृदय से संबंधित शिकायतें होती है तो हम आज आपके लिए आयुर्वेदिक दवाई हृदयामृत वटी की जानकारी लाए हैं। यह औषधीय गुण वाली दवाई दिल को स्वस्थ रखने का काम करती है तथा दिल की कई बीमारियों में लाभदायक होती है।
आइए जानते हैं दिव्य पतंजलि हृदयामृत वटी के फायदे और नुकसान के बारे में –
दिव्य हृदयामृत वटी क्या है (Patanjali Hridyamrit Vati in Hindi)
हृदयामृत वटी पतंजलि की दिव्य फार्मेसी द्वारा बनाई एक आयुर्वेदिक दवाई है जिसका कार्य हृदय से संबंधित समस्याओं से निपटारा करना है।
हृदयामृत वटी हमारे लिए एक हृदय टॉनिक के रूप में कार्य करती है जो दिल की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान कर हमें कई दिल की बीमारियों से बचाने का कार्य करती है।
फास्ट फूड कोल्ड ड्रिंक तथा स्वस्थ खाना ना खाने के कारण हमारे हृदय की बीमारियों से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है तो इसके लिए आप को उपयोग में ला सकते हैं।
हृदयामृत वटी में मौजूद घटक (Divya Hridyamrit Vati Ingredients)
दिव्य हृदयामृत वटी को बनाने में कई आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग किया गया है जिनके नाम निम्नलिखित है –
अर्जुन | मकोय |
नागरमोथा | दालचीनी |
अश्वगंधा | पुनर्नवा |
निर्गुंडी | रसना |
गिलोय | चित्रक |
पिप्पलामूल | संजयव पिष्टी |
मुक्ताशुक्ति भस्म | प्रवाल पिष्टी |
जहरमोहरा पिष्टी | मुक्ता पिष्टी…आदि |
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पतंजलि हृदयामृत वटी के फायदे (Hridyamrit Vati Benefits in Hindi)
दिव्य हृदयामृत वटी एक बहुत ही प्रभावी वह लाभदायक आयुर्वेदिक दवाई है जो हृदय के लिए एक टॉनिक का काम करती है। चलिए जानते हैं पतंजलि हृदयामृत वटी के फायदे के बारे में –
1. कोलेस्ट्रोल नियंत्रित रखने में हृदयामृत वटी के फायदे
कोलेस्ट्रोल का नियंत्रित रहना हमारे शरीर के लिए बहुत अधिक आवश्यक है। कोलेस्ट्रॉल कम होने पर या अधिक होने पर दोनों ही स्थिति में यह हमें नुकसान कर सकता है।
कोलेस्ट्रोल को दो भागों में बांटा गया है एक होता है गुड कोलेस्ट्रॉल और एक होता है बैड कोलेस्ट्रॉल। अच्छा खानपान रखने से गुड कोलेस्ट्राल बना रहता है लेकिन खानपान पर ध्यान ना रखने पर बैड कोलेस्ट्रॉल शरीर में अधिक बनने लगता है।
यदि शरीर में गुड और बैड कोलेस्ट्रॉल का समन्वय नहीं बना रहता तो हमें कई बीमारी हो सकती है यह हृदय संबंधी बीमारी का भी कारण बन सकता है।
यदि आपका कोलस्ट्रोल नियंत्रित नहीं रहता तो आप दिव्य हृदयामृत वटी एक्स्ट्रा पावर के फायदे ले सकते हैं। इस वटी को बनाने में अर्जुन, निर्गुंडी, पुनर्नवा, रसना, अश्वगंधा, नागरमोथा जैसी चीजों का उपयोग किया गया है जिस कारण यह कोलेस्ट्राल नियंत्रित करने में बहुत लाभदायक होती है।
2. छाती दर्द में दिव्य हृदयामृत वटी के फायदे
बहुत से व्यक्तियों को छाती के दर्द की शिकायत होती है यदि इस दर्द पर जल्दी ध्यान नहीं दिया जाए तथा हम इसे नजरअंदाज करते रहे तो हमें आगे चलकर बहुत बड़ा आघात झेलना पड़ सकता है।
कई बार छाती में दर्द हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह के कारण होता है इसे एनजाइना के नाम से जाना जाता है। इस दर्द में छाती पर भारीपन दवा जकड़न या दर्द की स्थिति होती है।
यदि आपको भी छाती के दर्द जैसी कोई समस्या है तो आप इस स्थिति में आयुर्वेदिक दवाई पतंजलि हृदयामृत वटी का उपयोग कर सकते हैं। यह दवाई हृदय संबंधित परेशानियों के लिए बहुत अच्छी है।
इस दवाई में मिलाई गई जड़ी बूटियां जैसे अर्जुन, पुनर्नवा तथा निर्गुंडी हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रभाव को बढ़ाते हैं जिस कारण हमें छाती दर्द जैसी परेशानी में आराम मिलता है।
3. हृदय की धड़कन के अनियमित होने में हृदयामृत वटी के लाभ
हम सभी जानते हैं कि हृदय का स्वस्थ रहना तथा इसकी धड़कन का लगातार सही तरीके से चलता रहना हमारी जिंदगी के लिए कितना अधिक आवश्यक है।
यदि हमारे दिल की धड़कनों में 1 मिनट के लिए भी कुछ गड़बड़ी होती है तो हमारा इस दुनिया में नामोनिशान भी नहीं रहेगा कहीं बाहर हृदय की धड़कन में अनियमितता आ जाती है।
कई बार किसी कारण से ऐसा देखा गया है कि कुछ लोगों की धड़कन है कभी तो बहुत तेज चलती है तथा कभी बहुत धीमे चलती है जिस कारण व्यक्ति का भयभीत होना स्वाभाविक ही है।
अगर किसी भी व्यक्ति की हृदय की धड़कन आमतौर पर अनियमित होती है तो वे दिव्य पतंजलि दिव्य अमृत वटी का उपयोग कर सकते हैं। इस वटी में अर्जुन, पुनर्नवा, मकोय, गिलोय, चित्रक जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां है जो हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने का कार्य करती है।
4. उच्च रक्तचाप कंट्रोल करने में पतंजलि हृदयामृत वटी के फायदे
रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर का हमारे शरीर में नियंत्रित बने रहना बहुत अधिक आवश्यक होता है यदि ब्लड प्रेशर कम हो जाए तो भी परेशानी यदि बढ़ जाए तो भी समस्या हो सकती है।
डॉक्टरों द्वारा कहा भी जाता है कि हमें व्यायाम करना चाहिए जिस कारण रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर सामान्य बना रहता है। यदि ब्लड प्रेशर सही स्थिति में रहता है तो हमें दिल से जुड़े तथा कई अन्य रोगों से बचे रहने में मदद मिलती है।
अगर किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर कम या ज्यादा रहता है तो ऐसी स्थिति में अर्जुन छाल, मकोय, गिलोय, पुनर्नवा हरीतकी शुद्ध गुग्गल जैसी चीजों से बनी हृदयामृत वटी का उपयोग करने की सलाह दी जा सकती है।
हृदयामृत वटी में ऐसे कई गुण पाए जाते हैं जो इसे निम्न या उच्च रक्तचाप की समस्या में एक प्रभावी दवाई के रूप में स्थापित करता है।
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5. हृदय की कार्य क्षमता बढ़ाने में दिव्य हृदयामृत वटी के बेनिफिट्स
सभी चिकित्सकों द्वारा सलाह दी जाती है कि हमें अपने हृदय का ख्याल किसी भी और अंग से अधिक रखना चाहिए लेकिन हम कभी भी अपने दिल के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते।
यदि शरीर के किसी और हिस्से में समस्या आ जाती है तो हम फिर भी जीवित रहेंगे लेकिन हृदय में यदि समस्या आ जाती है तो आप जानते ही हैं क्या स्थिति हो सकती है।
हम दिन भर ऐसा खाना खाते हैं जो हमारे हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है तथा व्यायाम भी कम ही करते हैं। जिस कारण हृदय की कार्य क्षमता घटती रहती है तथा हमारा जीवन की आयु कम होती जाती है।
दिल की कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए पतंजलि हृदयामृत वटी टेबलेट एक बहुत ही प्रभावी दवाई है। इस दवाई में मिली औषधियां हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर कर इसकी काम करने की क्षमता को बढ़ाती है।
6. दिल की मांसपेशियां मजबूत करने में पतंजलि हृदयामृत वटी के लाभ
दिल की मांसपेशियों का स्वस्थ व मजबूत बने रहना हमारे दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक जरूरी होता है। यदि हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रभाव कम हो जाता है तो इसके कारण ही छाती दर्द की समस्या होती है।
हृदय की मांसपेशियां यदि कमजोर हो जाती है तो हार्टअटैक जैसी समस्या भी देखने को मिल सकती है इसीलिए जरूरी है हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाए।
दिव्य हृदयामृत वटी अर्जुन छाल, गिलोय, मकोय, रजत भस्म, हीरक भस्म, शुद्ध शिलाजीत जैसी कई प्रभावी जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनाई गई है। जिस कारण यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने में बहुत प्रभावी होती है।
7. हृदय रोगों में दिव्य हृदयामृत टैबलेट के फायदे
हाल ही के कुछ बरसों में हृदय रघु में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है दुनिया भर के साथ-साथ भारत देश में भी दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोगों की संख्या बढ़ी है।
जब डॉक्टरों से हृदय रोगों के बढ़ने का कारण पूछा जाता है तो वे इसका सबसे बड़ा कारण हमारा खान-पान तथा प्रदूषण का बढ़ना बताते हैं। डॉक्टर कहते हैं ना तो हमारा भोजन स्वस्थ रहा है ना हमारा पानी ही पीने लायक बचा है।
ऐसे में बहुत अधिक जरूरी हो जाता है कि हम ऐसी चीजों को अपनाएं जो हमारे हृदय को स्वस्थ रखे तथा हम दिल की बीमारियां होने से बचे। बहुत से व्यक्ति छाती में दर्द, दिल का दौरा, हृदय की धड़कन कम या ज्यादा होना जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
अगर आप भी दिल की बीमारियों से ग्रसित है तो आपके लिए पतंजलि हृदयामृत वटी टेबलेट बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकती है। इसमें ऐसी कई जड़ी-बूटी मिली हुई है जो हृदय रोगों में बहुत अच्छा कार्य करती हैं।
8. पाचन क्रिया दुरुस्त करने में हृदयामृत वटी के बेनिफिट्स
पाचन क्रिया का दुरुस्त रहना बहुत अधिक आवश्यक है क्योंकि इसका सीधा इफेक्ट हमारे शरीर पर ही दिखाई देता है।
जिस व्यक्ति की पाचन क्रिया सही नहीं रहती उस व्यक्ति का दिल भी स्वस्थ रहें यह बहुत कम ही देखने को मिलता है। आयुर्वेद में कहते भी हैं यदि पेट सही है तो आप सही हैं।
अगर आपकी भी पाचन से संबंधित समस्या रहती है तो ऐसी स्थिति में आप हृदयामृत वटी का उपयोग कर सकते हैं। इस वटी में रसना, मोहरा भस्म जैसी चीजों का उपयोग किया गया है जो पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के लिए बहुत प्रभावी माने जाते हैं।
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9. शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालने में पतंजलि हृदयामृत वटी के फायदे
हम पूरे दिन कुछ ना कुछ खाते रहते हैं तथा वातावरण से भी हमारे शरीर में कुछ ना कुछ चला ही जाता है जिस कारण बॉडी में कई टॉक्सिक एलिमेंट्स जमा हो जाते हैं।
बॉडी में जमा इन विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना बहुत अधिक आवश्यक होता है। क्योंकि यह ना केवल हमारी लीवर की हेल्प पाचन क्रिया को प्रभावित करते हैं बल्कि हृदय संबंधित समस्याओं का भी कारण बन सकते हैं।
शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए आप व्यायाम कर सकते हैं या फिर हृदयामृत वटी का सेवन भी कर सकते हैं।
दिव्य पतंजलि अमृत वटी में पुनर्नवा जैसी आयुर्वेदिक दवाई मिली हुई है जो शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए जानी जाती है। साथ में इसमें प्रवाल, मकोय भी मिले हुए हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं तथा चोट की सूजन कम करने में भी कारगर होते हैं।
पतंजलि हृदयामृत वटी के उपयोग (Patanjali Hridyamrit Vati Uses in Hindi)
दिव्य हृदयामृत वटी एक बहुत ही फायदेमंद दिल के रोगों की दवाई है जिसका उपयोग सैकड़ों व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है। आइए जानते हैं हृदयामृत वटी के उपयोग के बारे में –
- धमनियों में रुकावट की स्थिति में हृदयामृत वटी का उपयोग किया जा सकता है।
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज में पतंजलि हृदयामृत वटी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- एंजाइना मतलब छाती दर्द होने में दिव्य हृदयामृत वटी का उपयोग कर सकते हैं।
- हृदयामृत वटी टेबलेट का उपयोग अनियमित धड़कनों को नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकता है।
- हाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में हृदयामृत वटी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- ट्राइग्लिसराइड्स के लिए हृदयामृत वटी का इस्तेमाल किया जाता है।
- हृदयामृत वटी का उपयोग दिल के दौरे में भी किया जा सकता है।
- हृदय रोगों से बचाव के लिए हृदयामृत वटी उपयोग में लाई जा सकती है।
पतंजलि हृदयामृत वटी के नुकसान (Patanjali Hridyamrit Vati Side Effects)
हृदयामृत वटी को बनाने में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का उपयोग किया गया है जिस कारण इसके नुकसान कम ही दिखाई देते हैं। हमारे द्वारा की गई रिसर्च में हमें हृदयामृत वटी के साइड इफेक्ट्स या नुकसान के बारे में कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।
यदि आप इससे नुकसान के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं।
फिर भी आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है जैसे –
- गर्भवती महिलाओं को हृदयामृत वटी बिना डॉक्टर के सलाह के नहीं दी जा सकती।
- स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को हृदयामृत वटी का सेवन चिकित्सक से पूछने के बाद ही करना चाहिए।
- कुछ लोगों को हृदयामृत वटी के कारण कब्ज थकान चक्कर आना सिर दर्द जैसी समस्याएं हो सकती है।
- 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को इस दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए।
- सांस संबंधित समस्या से पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर के परामर्श के बाद ही हृदयामृत वटी का सेवन करना चाहिए।
- यदि आपको हृदय अमृत वटी में मौजूद सामग्री से किसी भी प्रकार की एलर्जी है तो इसका सेवन करने से बचें या फिर डॉक्टर की सलाह से सेवन करें।
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पतंजलि हृदयामृत वटी की सेवन विधि (Patanjali Hridyamrit Vati Dosage)
दिव्य हृदयामृत वटी का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार या फिर इसके पैकेट पर लिखे निर्देशों के अनुसार ही करना चाहिए।
हृदयामृत वटी के पैकेट पर लिखें निर्देशों के अनुसार आप दिन में सुबह और शाम एक एक टेबलेट का सेवन खाने के आधा घंटे के बाद हल्के गर्म पानी या दूध से कर सकते हैं।
कब सेवन करना चाहिए? | सुबह और शाम |
कितनी टैबलेट सेवन करे? | 1-1 टैबलेट |
कैसे सेवन करे? | भोजन के बाद गुनगुने पानी या दूध से |
पतंजलि हृदयामृत वटी कहां से खरीदें (Buy Divya Hridyamrit Vati)
दिव्य हृदयामृत वटी को आप अपने पास के किसी भी पतंजलि स्टोर से खरीद सकते हैं यदि पास के स्टोर पर यह दवाई उपलब्ध नहीं है तो आप इसे ऑनलाइन आर्डर करके अपने पते पर भी मंगा सकते हैं।
दिव्य हृदयामृत वटी की कीमत (Hridyamrit Vati Price)
पतंजलि हृदयामृत वटी के प्राइस की बात करें तो इसका 20 ग्राम का पैकेट लगभग ₹140 का आता है जिसमें 60 टैबलेट होती है।
₹140 = 60 टैबलेट
FAQ (प्रश्न-उत्तर)
उत्तर – हृदयामृत वटी छाती दर्द धड़कन का अनियमित होना हृदय की मांसपेशियों का कमजोर होना आदि समस्याओं में लाभकारी है। इसके अधिक लाभ आप ऊपर पोस्ट में पढ़ सकते हैं।
उत्तर – गर्भवती महिलाओं को हृदय अमृत वटी के सेवन से पहले डॉक्टर से अवश्य पूछना चाहिए।
उत्तर – हृदयामृत वटी का सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए
समीक्षा व सारांश
आज इस लेख में हमने दिव्य पतंजलि हृदयामृत वटी के फायदे (Benefits of Divya Patanjali Hridyamrit Vati in Hindi) के बारे में जानकारी ली। साथ ही हमने पतंजलि हृदयामृत वटी के नुकसान, हृदयामृत वटी के उपयोग (Patanjali Hridyamrit Vati Uses in Hindi), सेवन विधि तथा कीमत के बारे में भी जाना।
हमें पूरी उम्मीद है कि आपको दिव्य हृदयामृत वटी टेबलेट के बारे में लिखी यह पोस्ट बहुत पसंद आई होगी। इस लेख के बारे में अपने सुझाव दें विचार हमें कमेंट बॉक्स में बताना ना भूलें।
Disclaimer: यहाँ लेख में बताये गए तरीके, तथा विधि की हेल्थीह्यूमन डॉट कॉम पुष्ठी नहीं करता है। ऊपर बताये गए तरीके केवल पाठको के ज्ञानवर्धन के लिए है. इन्हें उपयोग में लाने से पहले चिकित्सक का परामर्श अवश्य ले.
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