चेचक क्या है (Chicken Pox Kya Hai) चिकनपॉक्स या चेचक का इलाज , प्रकार, बचाव, लक्षण, परहेज व खानपान (Chicken Pox Ke Lakshan, Types, Causes, Symptoms, Treatment of Chicken Pox in Hindi)

पूरी दुनिया में लोग अलग-अलग प्रकार के रोगों से ग्रस्त है। कुछ रोगों ने लोगों की ज़िन्दगी को बहुत प्रभावित कर रखा है तो कोई कम प्रभावित है पर जूझ लगभग सभी रहे है। कुछ ऐसी बीमारियाँ होती है जो हमारे शरीर में तो प्रवेश कर जाती है पर उनका प्रभाव बहुत दिनों के बाद दिखाई डेता है, जैसे – स्मालपॉक्स और चिकनपॉक्स या चेचक। आज हम जिस बीमारी की बात करने वाले है उसे चेचक तथा अंग्रेजी में चिकनपॉक्स के नाम से जानते है। इसे छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। आइये जानते है चेचक क्या है तथा चेचक का इलाज कैसे करे?
चेचक क्या है? (Chickenpox in Hindi)
चेचक एक संक्रामक बीमारी है। यह बीमारी विषाणु जनित होती है, जिन विषाणुओं के कारण यह बीमारी होती है उन्हें व्हेरोला प्रमुख और नाबालिग व्हेरोला कहा जाता है। यह रोगी को कुरूपित करने वाली घातक बीमारी है। इस बीमारी ने लोगों को हजारों सालों से प्रभावित किया है।
वैश्विक टीकाकरण अभियान के कारण 1980 तक स्वाभाविक रूप से होने वाले चेचक (Smallpox) को दुनिया भर में खत्म कर दिया गया था।
इस बीमारी के वायरस को शोध अध्ययन करने के लिए सुरक्षित रखा जाता है माना जाता है कि भविष्य में इन पर शोध करके वैज्ञानिक अनुसंधान विकास और भलाई के लिए प्रयोग किया जा सकेगा।
वैसे इसका कोई उचित उपचार मौजूद नहीं है। बस एक टीका ही चेचक को रोक सकता है लेकिन इस टीके के साइड इफेक्ट भी काफी अधिक होते हैं।
चेचक कैसे होता है? (Causes of Chicken Pox in Hindi)
चेचक एक बहुत ही संक्रामक रोग है। इसे चिकन पॉक्स भी कहा जाता है। यह रोग साफ सफाई की कमी की वजह से फैलता है। यह व्हेरोला वायरस की वजह से फैलता है।
इसे आम भाषा में माता के नाम से भी जाना जाता है। इसमें पूरे शरीर पर चकत्ते और लाल दाने उभर जाते हैं। इन दानों के निकलने के बाद शरीर में खुजली की समस्या होने लगती है और इन दानों में पानी भी निकलने लगता है। इस स्थिति में रोगी अनन्य पीड़ा महसूस करता है।
इस रोग में रोगी की स्थिति बहुत ही दयनीय होती है। इस रोग में रोगी व्यक्ति को दूसरे स्वस्थ व्यक्तियों से दूर रखा जाता है जिससे कि यह दूसरे व्यक्तियों में ना फैले।
चेचक के प्रकार (Types)
सामान्यतः चेचक या चिकन पॉक्स दो प्रकार का होता है, जैसे छोटी चेचक (छोटी माता) और बड़ी चेचक (बड़ी माता) के नाम से जाना जाता है। अंग्रजी में इन्हें Chickenpox तथा Smallpox के नाम से जाना जाता हैं।
इन दोनों प्रकार के चेचक में शरीर पर दाने निकलते हैं। इन मुख्य अंतर यह होता है कि बड़ी चेचक में दाने बड़े होते हैं और छोटे चेचक में दाने छोटे होते हैं इसलिए इसका इलाज करने के लिए इसकी पहचान होना बहुत जरूरी होता है।
बड़ी चेचक में दानों में मवाद या पस भर जाता है और यह बीच में से फट जाते हैं फिर सूख जाते हैं इनमें से पपड़ी उतरने लगती है।
जबकि छोटी माता के दाने छोटे होते हैं यह सीधे ही सूख जाते हैं फटते नहीं, इनमें से पपड़ी भी नहीं उतरती, अधिकतर यह बीमारी बच्चों को छोटी उम्र में होती है।
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बड़ी माता या चेचक के लक्षण (Symptoms of Chickenpox in Hindi)
चेचक एक बहुत ही संक्रामक रोग है। इससे बचाव के लिए इसके कुछ लक्षणों को जानना बहुत ही आवश्यक होता है। आगे हम चेकाक के लक्षण बताएंगे –
- चेचक में शुरुआत में रोगी व्यक्ति को तेज बुखार होता है।
- बुखार के साथ-साथ धीरे धीरे शरीर पर लाल दाने दिखाई देने लगते हैं चार-पांच दिन के अंतर में ये दाने पक जाते हैं।
- इस रोग में रोगी व्यक्ति का गला बार-बार सूखने लगता है।
- पूरे शरीर में दर्द और ऐठन होने लगती है।
- मन अजीब सा रहता है और बार-बार उल्टी करने का मन करता है।
- इस दौरान हमेशा रोगी को सिर दर्द की शिकायत रहती है।
चेचक में सावधानियां (Precautions in Chicken Pox Home Treatment in Hindi)
बहुत ही खतरनाक बीमारी है। इसमें कुछ सावधानियां बरतना बहुत ही जरूरी होता है। यदि सावधानी नहीं बरती जाएगी तो यह संक्रामक रोग दोबारा हो सकता है। चेचक मे रखी जाने वाली सावधानियां इस प्रकार है –
- कुछ लोगों को भ्रम होता है कि चिकन पॉक्स के रोगी को नहाना नहीं चाहिए जबकि यह सच नहीं है बल्कि इस रोग में अधिक साफ सफाई की जरूरत होती है।
- इस बीमारी में मरीज को पानी उबालकर पिलाना चाहिए।
- तली भुनी और मसाले वाली खाने की चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- नहाने के पानी में नीम की पत्तियों को डालकर उसे कुछ समय के लिए धूप में रख दे फिर उसमें नहाए।
- रोगी के इस्तेमाल किए गए बर्तनों को अलग रखना चाहिए।
- रोगी के कपड़ों को भी अलग रखना और धोना चाहिए व कपड़ों को धूप में सुखा ना चाहिए जिससे सारे बैक्टीरिया खत्म हो जाए।
- माना जाता है कि रोगी व्यक्ति को अपना चेहरा शीशे में नहीं देखना चाहिए ऐसा करने से दानों के निशान त्वचा पर रह जाते हैं।
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चेचक का घरेलू इलाज (Treatment of Chickenpox in Hindi)
यह एक ऐसी बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। इस बीमारी का एकमात्र इलाज टीकाकरण ही है। जबकि इस रोग के दानों में होने वाली खुजली और निशान से राहत पाने के लिए कुछ चेचक के घरेलू उपचार नीचे दिए गए है। साथ ही हम चिकन पॉक्स के दाग हटाने के उपाय के बारे में भी जानेगे –
1. जई का आटा है चेचक का इलाज
चेचक की स्थिति में रोगी व्यक्ति के शरीर में तेजी से खुजली होती है। खुजली से बचने के लिए जेई के आटे को पानी में मिलाकर रोगी व्यक्ति को स्नान कराना चाहिए। जई के आटे को इस्तेमाल करने के लिए पहले 15 मिनट तक दो लीटर पानी में उबालें फिर पके आटे को एक कॉटन कपड़े में अच्छी तरह से बांध कर बाथ टब में डालकर बच्चे को नहलाए। इसके अतिरिक्त आधा कप भूरे सिरके को पानी में डालकर नहलाने से खुजली में निजात मिलती है।
2. लैवेंडर तेल है चेचक का रामबाण इलाज
लेवेंडर तेल से चिकन पॉक्स मे पड़ने वाले दागों से छुटकारा पाया जा सकता है। इस तेल को बादाम तेल क्या नारियल तेल के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाना चाहिए। इस नुस्खे को दिन में 2से 4 बार दोहराएं। इससे आपको एक अच्छा परिणाम मिलेगा। इसके अलावा लेवेंडर तेल की कुछ बूंदे गर्म पानी में डालकर नहाने से भी राहत मिलती है।
3. हर्बल चाय से करे चेचक का उपचार
हर्बल चाय चेचक में बहुत ज्यादा असरदार होती है क्योंकि यह चाय तुलसी, मेरीगोल्ड और लेमन बाम जैसी जड़ी बूटियों से बनी होती है। इन जड़ी-बूटियों से बनी चाय की एक चम्मच मात्रा को एक कम उबलते पानी में मिलाएं और कुछ समय के लिए इसे उबलने दे और फिर छान ले, और इसके बाद इसमें नींबू, शहद और दालचीनी को मिलाएं। इस चाय को दो से तीन बार जरूर पिएं।
4. नीम के पत्ते है चेचक का आयुर्वेदिक इलाज
नीम को चेचक के उपचार में सबसे ज्यादा उपयोगी माना जाता है क्योंकि इसमें एंटीवायरल गुण होते हैं। यदि एक मीठी नीम की पत्तियों को पीसकर दानों पर लगाकर कुछ समय के लिए छोड़ देंगे तो बहुत ज्यादा राहत मिलेगी। इसके अलावा नहाने के पानी में भी नीम की पत्तियों का उपयोग प्रभाव कारी होता है। नीम को पुराने समय से ही एक उत्तम औषधि के रूप मे जाना जाता है।
5. धनिया और गाजर से सूप से करने चेचक का इलाज
चेचक के लिए गाजर और धनिया दोनों बहुत ही अच्छे होते हैं क्योंकि यह दोनों एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है इसीलिए चेचक के उपचार में गाजर और धनीये की कुछ मात्रा 4 कप पानी में उबाल लीजिए और तब तक उबा लिए जब तक आधे पानी की भाप न बन जाए। इससे एक प्रकार का सूपतैयार होगा। लगभग कुछ दिनों तक इस सुप को दिन में एक बार पिए। इसको पीने से शरीर में ताकत बढ़ेगी जिससे आप जल्दी स्वस्थ हो सकेंगे।
6. ब्राउन सिरका है चिकन पॉक्स के दाग हटाने के उपाय
चेचक के उपचार में ब्राउन सिरका भी एक प्रभावी उपचारों में से एक है। यह रोगी व्यक्ति के शरीर में होने वाली जलन और दानों को ठीक करने में मदद कर सकता है। बल्कि इसके उपयोग से दानों से पड़ने वाले निशान भी मिट जाते हैं। इसके उपयोग के लिए 10 से 15 मिनट तक आधा कप सिरके को गुनगुने पानी में मिलाएं और फिर इस से स्नान करें तो देखिएगा कुछ समय में आपके शरीर को राहत मिलेगी।
7. शहद से करे चेचक का रामबाण इलाज
शहद को भी एक औषधि माना जाता है। बहुत से ऐसे रोग हैं जिनमें शहद एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में काम आता है। चिकन पॉक्स में भी खुजली से राहत के लिए शहद का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए अच्छी गुणवत्ता वाला शुद्ध शहद ले और उसको प्रभावित जगह पर लगाएं। इसे दिन में दो से तीन बार लगाना चाहिए और यदि आप जब तक निशान खत्म ना हो जाए तब तक इसका उपयोग करेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा।
8. बेकिंग सोडा है चिकन पॉक्स के दाग हटाने के उपाय
चिकन पॉक्स में बेकिंग सोडा के उपयोग से खुजली और जलन में राहत मिलती है। इसका उपयोग पानी में मिलाकर किया जाता है इसके लिए एक गिलास पानी में आधा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं। और इस मिश्रण को एक साथ मुलायम कपड़े या रूई की मदद से शरीर के प्रभावित हिस्सों पर लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें
इस के बाद नहा ले। आप चाहे तो नहाने के पानी में भी बेकिंग सोडा का उपयोग कर सकते हैं।
9. दलिया से कर चेचक का इलाज
चेचक में दलिया से उपचार के लिए दलिए का स्नान एक घरेलू उपचार माना जाता है। इसके उपयोग करने के लिए दो कप दलिए का पाउडर बना लें और पाउडर को 2 लीटर गुनगुने पानी में डालें। और इसके बाद कुछ समय के लिए इसको ऐसे ही छोड़ दें और फिर इसमें स्नान करें। ऐसा करने से शरीर में दानों में होने वाली खुजली में काफी हद तक राहत मिलेगी।
चेचक में परहेज (Foods to Avoid during Chicken Pox in Hindi)
जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि चेचक एक संक्रामक रोग है। यदि इसमें सही तरह से परहेज ना किया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है तो इसीलिए चिकनपॉक्स में क्या नहीं खाना चाहिए इसके बारे में कुछ बिंदु के माध्यम से हम आपको बताएंगे।
- चेचक के मरीजों को अंडो को खाने से बचना चाहिए।
- फैट फूड मीट और डेयरी प्रोडक्ट का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस रोग में खट्टे फलों को खाने और उनके जूस को पीने से बचना चाहिए।
- अधिक नमक वाला खाना नहीं खाना चाहिए।
- मसालेदार खाना, चॉकलेट, मूंगफली जैसी चीजें ना खाएं।
- चेचक की स्थिति में बिना उबला पानी नहीं पीना चाहिए
चेचक में भोजन (Chicken Pox Diet in Hindi)
चेचक एक ऐसी बीमारी है जिसके ठीक होने में सही खानपान की बहुत बड़ी भूमिका है। आइये जानते है चिकन पॉक्स में क्या खाना चाहिए –
चेचक के रोगी को एक हेल्थी डाइट लेना बहुत जरूरी होता है। इस रोग में रोगी व्यक्ति को उबली हुई सब्जियां खानी चाहिए क्योंकि इनमें किसी तरह का तेल नहीं मिला होता। उबली हुई सब्जियों में आप इन सब्जियों का इस्तेमाल कर सकते हैं- जैसे-पत्ता गोभी, फूलगोभी, गाजर, शकरकंद, आदि।
इसके अतिरिक्त आप पर कुछ फलों का सेवन भी कर सकते हैं आप सिर्फ उन फलों का सेवन कर सकते हैं जो खाने में मुलायम हो जैसे अंगूर, केला, तरबूज, खरबूजा आदि।
और इसके अलावा चिकन पॉक्स के रूप में यदि रोगी व्यक्ति सुबह-सुबह नारियल पानी पिए तो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होगा। क्योंकि नारियल पानी विटामिन व खनिज पदार्थों से भरपूर होता है।
इन चीजों के अतिरिक्त दही, मकई, बींस, मशरूम, सोया मिल्क, साबुत अनाज, राउंड ब्रेड आदि का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह सब कैल्शियम और मैग्नीशियम से समृद्ध होते हैं। और साथ ही रोगी व्यक्ति को भरपूर मात्रा में उबला हुआ पानी पीते रहना चाहिए।
छोटी चेचक और बड़ी चेचक (छोटी माता और बड़ी माता) में अन्तर (Difference between Chicken pox and Smallpox in Hindi)
चिकनपॉक्स व स्मॉलपॉक्स दोनों ही चेचक के रूप है। चूँकि दोनों में बाद में पॉक्स शब्द आता है तो लोग यह सोच लेते है कि दोनों एक ही है, पर ऐसा नहीं है। छोटी माता व बड़ी माता में काफी अंतर है। आइये नीचे दी गयी तालिका से स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स में अंतर को जानते है।
संख्या (No.) | चिकनपॉक्स (Chickenpox) | स्मॉलपॉक्स (Smallpox) |
1. | • चिकनपॉक्स के प्रत्येक वर्ष 40 लाख से भी अधिक मरीज आते है, जिनमे से अधिक बच्चे होते है। | ♦ स्मॉलपॉक्स रोग की वैक्सीन के कारण यह रोग संसार से लगभग गायब ही हो चुका है, इसके हर वर्ष ना के बराबर ही मरीज सामने आते है। |
2. | • चिकनपॉक्स वैरीसेला जोस्टर वायरस (हरपीज वायरस) के कारण होता है। | ♦ जबकि वेरियोला वायरस स्मॉलपॉक्स का सबसे बड़ा कारक हैं। |
3. | • चिकनपॉक्स की अवधि 14 से 21 दिन तक मानी जाती हैं। | ♦ जबकि स्मॉलपॉक्स की अवधि 7 से 17 दिन तक मानी जाती है। |
4. | • चिकन पॉक्स हमे बहुत अधिक प्रभावित नहीं करता है। | ♦ जबकि स्मॉलपॉक्स से मरीज की म्रत्यु भी हो सकती है, भूतकाल में इस बीमारी से लाखों लोगों की मौत हुई है। |
5. | • जन्मजात शिशुओं के लिए चिकनपॉक्स बहुत घातक होता है इसलिए एक वर्ष की उम्र में तथा एक वैक्सीन 4 से 6 वर्ष की उम्र लगाई जाती है। | ♦ स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन अब किसी को नहीं दी जाती, क्योंकि इस रोग के केस अब दुर्लभ ही देखने को मिलते है। |
6. | • इस चेचक के घाव शरीर पर एक साथ नही दिखते, बल्कि शरीर के भिन्न भागों पर एक-एक करके दिखाई देते है। | ♦ इस चेचक के घाव पुरे शरीर पर एक साथ दिखते है। स्मॉलपॉक्स के दाने के जैसे ही दिखाई देते है। |
7. | • चिकनपॉक्स के दाने अधिकतर पेट, छाती, चेहरे व पीठ पर आते हैं। | ♦ स्मॉलपॉक्स के दाने शरीर के किसी भी अंग पर हो जाते हैं। |
8. | • इसके घाव सबसे पहले चेहरे या छाती के आसपास दिखाई देते हैं। | ♦ इसके दाने सबसे पहले गले या मुहँ में उत्पन्न होते हैं। |
9. | • हथेलियों और तलवों पर दाने शायद ही कभी विकसित होते हैं। | ♦ इसके दाने हाथों की हथेलियों एवं तलवों पर आमतौर पर विकसित होटा हैं। |
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FAQ (सवाल-जबाब)
चिकन पॉक्स में दूध या इससे बने उत्पादों का सेवन नहीं करना चाहिए। चेचक रोग में और परहेज जानने के लिए पूरी पोस्ट पढ़े।
अंग्रेज कायचिकित्सक एडवर्ड जेनर ने 1776 में चेचक के टीके का आविष्कार किया।
चिकन पॉक्स या चेचक के ठीक होने में 1 सप्ताह से 4 सप्ताह तक का समय लग सकता है।
चिकनपॉक्स या चेचक दो प्रकार के होते है, जिन्हें मुख्यतः छोटी माता व बड़ी माता के नाम से जाना जाता है।
अस्वीकरण
ऊपर प्राप्त करायी गयी जानकारी सिर्फ आपके ज्ञानवर्धन के लिए है, यह जानकारी एक योग्य चिकित्सक की सलाह का विकल्प नहीं है। प्रस्तुत जानकारी के किसी भी परिणाम के लिए हेल्थीह्यूमन उत्तरदायी नही है इसलिए पहले किसी अनुभवी डॉक्टर को अवश्य दिखाए।
आज हमने जाना?
आज हमने चेचक क्या है (Chicken Pox in Hindi) के बारे में जानने का प्रयास किया। साथ ही हमने चेचक का इलाज (Treatment of Chickenpox in Hindi), चेचक के लक्षण (Symptoms of Chickenpox in Hindi), चेचक के प्रकार (Types), चेचक के कारण (Causes), परहेज आदि को भी भली-भांति समझा। आशा करते है आपको यह लेख बेहद पसंद आया होगा।
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